विज के भाई बोले-पीजीआई में 4 दिन में भी हालत नहीं सुधरी, वीसी बोले- बेहतर इलाज दिया मेदांता में ज्यादा अच्छे उपकरण
प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान में क्यों नहीं मेदांता जैसे उपकरण, कैसे जीतेंगे जनता का विश्वास
कोराना की काट के लिए बनी वैक्सीन का जब ट्रायल होना था तो सभी के मन में इसे लेकर कुछ डर बैठा हुआ था। सब सोच रहे थे कि क्या ये टीका लगवाना चाहिए या नहीं। तब जनता की इसी उधेड़बुन को खत्म करने के लिए मैदान में उतरे हरियाणा के स्वास्थ्य और गृह मंत्री अनिल विज। उन्होंने कहा कि सबसे पहले वो इस टीके का परीक्षण खुद पर करेंगे।
इसी के चलते 20 नवम्बर को कोवैक्सीन का तीसरे चरण के ट्रायल के दौरान अनिल विज को अम्बाला के सिविल अस्पताल में कोवैक्सीन की डोज़ दी गई। मगर डोज़ लेने के बाद उनकी हालत बिगड़ी और उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉसिटिव आई। इसके तहत विज को 12 दिसम्बर की रात को पीजीआई में भर्ती कराया गया।
हरियाणा के गृह मंत्री ने पीजीआई की स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा जताया था। लेकिन अब उन्हें भर्ती हुए चार दिन का समय बीत चुका है। उनकी सेहत में कोई सुधार न देखते हुए उन्हें यहां से गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में शिफ्ट करने का फैसला लिया गया है। हालांकि उन्हें प्लाज़मा थैरेपि भी दी गई मगर कोई फायदा नहीं हुआ। मंगलवार सुबह उनका ऑक्सीजन लेवल 80 परसेंट तक गिर गया। इसके साथ ही विज के फेफड़ों में इंफेक्शन भी पाया गया है। पीजीआई के डॉक्टर्स की टीम ने इसपर मुश्किल से काबू पाया तब कहीं जाकर दोपहर तक उनका ऑक्सीजन लेवल सामान्य हो पाया।
विज के भाई राजेंद्र, वेटी और दामाद ने स्वास्थ्य मंत्री को मेदांता शिफ्ट करने का फैसला किया। भाई राजेंद्र का कहना है कि उनकी सेहत में चार दिन से सुधार न होने के कारण ये फैसला किया गया है। यूएचएस वीसी डॉ- ओपी कालरा से सहमति मिलने पर परिजन मंगलवार शाम 7 बजे अनिल विज को पीजीआई से ले गए। रात नौ बजे मंत्री को कोविड 19 के स्टेट नोडल अधिकारी डॉ- ध्रुव चौधरी ने मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया। आपको बता दें कि अनिल विज 5 दिसम्बर को कोरोना पॉसिटिव पाए गए थे।
इसके बावजूद वो निजी अस्पताल में भर्ती नहीं हुए थे। उन्हें अंबाला के सिविल अस्पताल में ले जाया गया था। जब उन्हें मंदांता भेजने पर सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर सलाव उठने लगे। इसका स्पस्टिकरण देते हुए वीसी डा- ओ पी कालरा ने कहा कि उन्होंने बेहतर इलाज किया था लेकिन मेदांता में ज्यादा अच्छे उपकरण हैं। ऐसे में ये सवाल उठता है कि प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान में मेदांता की टक्कर के उपकरण क्यों नहीं हैं? क्या यहां आने वाले मरीजों की जान की कोई कीमत नहीं है? क्यों वीआईपी को यहां से दूसरे अस्पताल में रेफर किया जाता है? क्या पीजीआई में आने वाले गरीबों को मेदांता के स्तर का इलाज नहीं मिल पाता?
घंटों इंतजार के बाद मेदांता की एंबुलेंस आई, मिली खामियां तो पीजीआई की एंबुलेंस भेजी
करीब तीन घंटे तक मेदांता की एंबुलेंस का इंतजार किया गया। जब ये एंबुलेंस पहुंची तो इसमें हाई फ्लो ऑक्सीजन सिस्टम नहीं था। इस कारण पीजीआई की एंबुलेंस को हाई फ्लो ऑक्सीजन सिस्टम लगाकर तैयार किया गया।